बिहार के औधोगिक पिछड़ेपन के कारण का वर्णन करें |
विभाजन के बावजूद बिहार में औद्योगिक विकास के प्रबल संभावना है | उद्योगों की स्थापना के लिए आवश्यक तत्व में जल संसाधन, उर्वर मुद्रा, सस्ता श्रमिक, विस्तृत बाजार आदि आसानी से उपलब्ध है | उत्तर बिहार की नदियों में जहां जल-विद्युत की अपार संभावना है, वहीं बिहार के मैदानी भागों में कृषि आधारित उद्योगों के लिए कच्चा माल प्रदान करने की अपार क्षमता है | दक्षिणी पठारी भाग पाइराइट, चूना-पत्थर, बॉक्साइट, चीनी मिट्टी, सिलका जैसे खनिजों की प्राप्ति होती है, जिसमें खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की अपार संभावना है | फिर भी बिहार औद्योगिक दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ है |

इसके कई कारण है जैसे:
(i) आधारिक वातावरण का अभाव |
(ii) कृषि पर अत्यधिक निर्भरता की प्रवृत्ति |
(iii) खनिजों की कमी |
(iv) छोटे और लघु उद्योगों पर ध्यान नहीं दिया जाना |
(v) पुराने मशीन और तकनीक आज भी प्रयोग में लाए जाते हैं |
(vi) पूंजी की कमी और विनिवेश का अभाव |
(vii) विस्तृत बाजार का अभाव |
(viii) औद्योगिक आधारभूत संरचना का अभाव जैसे: सड़क, बिजली आपूर्ति, संचार साधन, प्रशासनिक कमी आदि |
(ix) प्रबंधन की समस्या |
(x) व्यापक प्रांतीय औद्योगिक नीति का भाव बिहार में 1995 का औद्योगिक नीति का पालन हो रहा है और बिहार राष्ट्रीय औद्योगिक नीति का अनुसरण करने में अक्षम रहा है |